मानव जीवन में फलों का महत्व – Importance of fruits in human life

0
मानव जीवन में फलों का महत्व
मानव जीवन में फलों का महत्व - Importance of fruits in human life

मानव जीवन में फलों का महत्व – Importance of fruits in human life

नमस्कार दोस्तों, मानव जीवन में फलों का महत्व विशेष रूप से होता है. यह मानव जीवन के स्वास्थ्य और उचित वृध्दि के लिए अत्यंत आवश्यक है. इससे मनुष्यों को जल, शर्करा, प्रोटीन, खनिज तत्व, वसा, विटामिन, रेशा तथा अन्य स्वास्थ्यप्रद पदार्थ प्राप्त होते है. शरीर को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन 100 ग्राम फलों के सेवन की जरुरत होती है. लेकिन देश में प्रति व्यक्ति 60 ग्राम फल का उपयोग होता है. जो कि संस्तुति मात्रा से काफी कम है. तथा इसका सेवन भी उत्पादन एवं मौसम तक सीमित है. अतः आज आवश्यकता इस बात की है कि इसकी महत्ता और पौष्टिकता गुणों को आम लोगो की जानकारी में ले जाय.

फलों का महत्व 

  1. फलों का नियमित सेवन मानव शरीर के स्वास्थ्य संचालन तथा उचित वृध्दि के लिए आवश्यक होता है.
  2. संतुलित भोजन के रूप में फलों का नियमित सेवन करना चाहिए. ये हमें बलशाली व स्वस्थ बनाते है.
  3. हमें प्रतिदिन 100 ग्राम फलों का सेवन करना चाहिए. जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जरुरी है.
  4. फलाहार हमारी पाचन प्रणाली के लिए भी स्वाभाविक और स्वास्थकारी है.
  5. फलों में प्राकृतिक रेशा प्रचुर मात्रा में होने के कारण उदार रोगों की संभावना काफी घट जाती है.
  6. फलों में कार्बोहाइड्रेट की प्रचुर मात्रा पायी जाती है. इसके साथ ही इसमें शर्करा, प्रोटीन, विटामिन तथा खनिज भी होते है.
  7. फल, जल के भी अच्छे स्रोत होते है.
  8. इनमे एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, वसा, खाद्य रेशा, आर्गेनिक एसिड, एंजाइम इत्यादि पाए जाते है.

यह भी पढ़े : खुबानी की खेती (Apricot farming) की पूरी जानकारी (हिंदी में)

ताजे फलों में उपलब्ध मुख्य खनिज तत्व  

फ़ॉस्फोरस तत्व 

यह कैल्शियम के साथ मिलकर हड्डियाँ और दांतो और मांसपेशियो को मजबूत बनाता है. कार्बोहाइड्रेट, वसा व प्रोटीन के पाचन में सहायक होते है. यह प्रमुख रूप से केला, कैथ, रसभरी, अनार, एवोकेन्डो, पैशन फल आदि में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

लोहा 

यह शरीर की रुधिर कणिकाओं में पाए जाने वाले हीमोग्लोबिन का मुख्य अवयव है. यह शरीर में कार्यरत अनेक एंजाइमों में उपस्थित रहता है. इसकी कमी से शरीर में खून की कमी ही जाती है. जिससे मनुष्य रोगी व कमजोर हो जाता है. यह अमरुद, केला, कच्चा आम, शहतूत, सेब, अन्नानास, आंवला, बेर, नींबू, आदि फलों में प्रमुख रूप से पाया जाता है.

सोडियम 

यह शारीर के ऊतकों व तंत्रिका तंत्र के विकास में सहायक होता है. इसकी कमी से रक्तचाप पर असर पड़ता है. यह सेब, केला, लीची, जामुन, पपीता, अनानास, अनार, अमरुद आदि फलों में पाया जाता है.

मैग्नीशियम 

कैल्सियम व फ़ॉस्फोरस के पाचन के अलावा कई एंजाइमों की क्रियाओं में इसकी उपस्थिति अनिवार्य है. तंत्रिका तंत्र व मांसपेशियों के उचित संचालन में भी इसका विशिष्ट स्थान है. इसकी कमी से मधुमेह और आंतों की बीमारी हो जाती है. यह प्रमुख से आलूबुखारा, केला, अंगूर आदि फलों में पाया जाता है.

सल्फर 

यह मांसपेशियों और हड्डियों के विकास के लिए आवश्यक अमीनों एसिड और प्रोटीन बनाता है. तथा जहरीले पदार्थों के दुष्प्रभाव को ख़त्म कर देता है. यह कटहल, रसभरी, तरबूज आदि में प्रमुख रूप से पाया जाता है.

कॉपर 

यह लोहे के अवशोषण और लोहे से सम्बंधित क्रियाओं में भाग लेता है. कई एंजाइमों की क्रियाओं में इसकी उपस्थिति आवश्यक है. तंत्रिका तंत्र में तांबा मुख्य रूप से उपस्थित रहता है. यह मुख्य रूप से सेब, अनार, पपीता, रसभरी, नाशपाती, शरीफा, संतरा, नींबू, केला आदि फलों में पाया जाता है.

क्लोरीन 

यह शरीर में अम्ल और क्षार का संतुलन बनाता है. तथा पाचन तंत्र में हाइड्रोक्लोरिक आलम के निर्माण में सहायता करता है. यह खुबानी, अनानास, और स्ट्राबेरी आदि फलों में पाया जाता है.

पोटेशियम 

यह प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के पाचन में सहायक होता है. और यह क्षारीयता एवं अम्लता का संतुलन बनाये रखने में भी सहायता करता है. इसकी कमी से फेफड़ों की बीमारी हो जाती है. यह मुख्य रूप से कटहल, केला, अंगूर, खुबानी और अमरुद जैसे फलों में पाया जाता है.

यह भी पढ़े : Sapota cultivation in Hindi – चीकू की खेती कैसे करे ? (हिंदी में)

ताजे फलों में उपलब्ध मुख्य विटामिन 

विटामिन ए 

यह वृध्दि तथा प्रजनन क्रियाओं के लिए आवश्यक होता है. इसकी कमी से ठण्ड, इन्फ्लुन्जा, आँख का रोग, रतौंधी तथा चर्म रोग हो जाता है. यह मुख्य रूप से आम, पपीता, केला, अमरुद, रसभरी, फालसा, कटहल, अनानास, आदि फलों में पाया जाता है.

विटामिन बी 1 

इसकी कमी होने पर बेरी-बेरी नामक रोग हो जाता है. त्वचा की स्पर्श शक्ति का ह्रास, लकवा तथा ह्रदय सम्बन्धी असमानताएं हो जाती है. यह मुख्य रूप से सेब, केला, संतरा, आलू बुखारा, आम, पपीता आदि में पाया जाता है.

विटामिन बी 2 

इसकी कमी से शरीर में बहुत सी असमानताएं जैसे शरीर का भार कम होना, गले का खराब, मुंह के कोनों का फटना, आँखों की नसे उभर आना और आँखों का किरकिराना आदि. यह मुख्य रूप से बेल, पपीता, कैथा, लीची आदि फलों में पाया जाता है.

विटामिन बी 6 

यह कार्बोहाइड्रेट, वसा व एमीनों अम्ल के पाचन में सहायक होता है. इसकी कमी से अतिसार, बालों का गिरना, त्वचा का खुरदरी होना और मांसपेशियों का कमजोर होना आदि विकार उत्पन्न होते है. यह मुख्य रूप से खुबानी, नींबू, केला और अंजीर में पाया जाता है.

विटामिन बी 12 

यह लाल रुधिर कणिकाओं के निर्माण में सहायक होता है. तथा इसकी कमी से लाल रुधिर कणिकाओं की कमी हो जाती है. तथा एनीमिया हो जाता है. यह आडू, केला, अमरुद, नींबू, चेरी आदि फलों में मुख्य रूप से पाया जाता है.

निष्कर्ष 

उम्मीद है दोस्तों गाँव किसान (Gaon Kisan) इस लेख से आपको मानव जीवन में फलों का महत्व के बारे में जानकारी मिल सकी होगी. फिर भी इससे सम्बंधित आपका कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलाव यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताएं, महान कृपा होगी.

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द. 

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here