मसूर की उन्नत किस्में | Improved varieties of Lentils
नमस्कार किसान भाईयों-बहनों, मसूर का रबी की दलहनी फसलों में प्रमुख स्थान है. मसूर की खेती लगभग देश के सभी राज्यों में की जाती है. यह दलहनी फसल मानव सेहत के लिए काफी लाभकारी होती है. इसमें काफी पोषक तत्व पाए जाते है. बाजार में भी इसकी अच्छी मांग रहती है. किसान भाइयों को इसकी खेती में अच्छी उपज के लिए अच्छी किस्मों की जानकारी होना बहुत ही आवश्यक है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख के द्वारा मसूर की उन्नत किस्में कौन -कौन सी है की पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भाई-बहन इसकी अच्छी उपज के साथ अच्छा लाभ पा सके. तो आइये जानते है मसूर की उन्नत किस्मों के बारे में पूरी जानकारी-
मसूर की उन्नत किस्में (masoor ki kismen)
किसान भाइयों को मसूर की फसल से अच्छी उपज प्राप्त करनी है, तो इसकी उन्नत किस्मों का चुनाव करना बहुत ज़रूरी होता है. इसके साथ ही अपने क्षेत्र की प्रचलित, ज्यादा पैदावार देने वाली और रोग प्रतिरोधी होना भी ज़रूरी होता है. मसूर की अधिक उपज वाली किस्में निम्नवत है –
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मसूर की उन्नत किस्म वी० एल० मसूर 1
इस किस्म की मसूर के छिलका काले रंग का और दाना छोटा होता है. इसके अलावा बीज मध्यम आकार के होते हैं. इसकी फसल बुवाई के 165 से 170 दिन में पककर तैयार हो जाती है. यह किस्म उकठा रोग प्रतिरोधी होती है. इससे प्रति हेक्टेयर लगभग 10 से 12 क्विंटल उपज प्राप्त हो जाती है.
मसूर की उन्नत किस्म वी० एल० मसूर 4
मसूर की इस किस्म के दाल का छिलका काला रंग होता है. साथ ही इसके दाने का आकार होता है. इस किस्म की खेती अल्मोड़ा में अधिक की जाती है. मसूर की यह किस्म 170 – 175 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की ख़ास बात यह है कि इसकी औसतन उपज लगभग 12 – 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.
मसूर की उन्नत किस्म वी० एल० मसूर 103
मसूर की इस किस्म के दाल के छिलके का रंग भूरा होता है. वही, इसका दाना छोटे आकार का होता है. मसूर की यह किस्म बुवाई के 170 – 175 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की खासियत यह है कि इसकी औसतन उपज 12 – 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो जाती है.
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मसूर की उन्नत किस्म वी० एल० मसूर 125
मसूर की इस किस्म के दाल के छिलके का रंग काला होता है. वही, दाना आकार में छोटा पाया जाता है. मसूर की इस किस्म बुवाई के बाद पौधा 160 – 165 दिनों में पककर तैयार हो जाता है. इस किस्म की ख़ास बात यह है कि इसकी औसतन उपज 18 – 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो जाती है.
मसूर की उन्नत किस्म वी० एल० मसूर 126
मसूर की इस किस्म की खेती भारत के सभी राज्यों में की जाती है. इस किस्म की मसूर की दाल का छिलका काले रंग का होता है वही इसके दाने आकार भी छोटा होता है. मसूर की इस की किस्म की बुवाई के बाद पौधा 125 – 150 दिनों में पककर तैयार हो जाता है. इसके अलावा इस किस्म की पौधे की ऊँचाई 30 – 35 से.मी. तक हो जाती है. मसूर की इस किस्म की खासियत यह है कि इसकी औसतन उपज 12 – 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है.