ब्लू पैनिक घास – पशुओ के लिए एक पौष्टिक चारे की फसल

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ब्लू पैनिक घास
ब्लू पैनिक घास एक पौष्टिक चारे की फसल 

ब्लू पैनिक घास एक पौष्टिक चारे की फसल 

नमस्कार किसान भाईयों, ब्लू पैनिक घास पशुओं के लिए एक पौष्टिक चारे की फसल है. इसे घामर या परवारी घास भी कहा जाता है. भारत में इसे शुष्क या अर्धशुष्क स्थानों पर उगाया जा सकता है. आज गाँव किसान (Gaon kisan) अपने लेख के द्वारा ब्लू पैनिक घास के बारे में पूरी जानकारी देगा-

ब्लू पैनिक घास के फायदे

यह एक पौष्टिक घास चारा है. जो पशुओं के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है. इसके लिए इस चारे को पुष्पावस्था से पहले कटाई कर लेनी चाहिए. इससे इसकी पौष्टिकता अच्छी रहती है. देर से कटाई करने पर चारे की पौष्टिकता कम हो जाती है.

इसके हरे चारे में प्रोटीन 14.1 प्रतिशत, रेशा 40.17 प्रतिशत, नाइट्रोजन रहित निष्कर्ष 43.11 प्रतिशत, ईथर निष्कर्ष 1.19 प्रतिशत, कुल राख 7.97 प्रतिशत, कैल्सियम 0.09 प्रतिशत, कैल्सियम 0.39 प्रतिशत और फ़ॉस्फोरस 0.09 प्रतिशत पाई जाती है.

उत्पत्ति एवं क्षेत्र

ब्लू पैनिक घास का वानस्पतिक नाम पेनिक्म एंटीडोटेल (Panicum antidotale) है. इसको सर्वप्रथम आस्ट्रेलिया में उगाया गया था. भारत में इस घास को राजस्थान तथा पश्चिमी क्षेत्रों जंगली घास के रूप में उगती है. भारत में इसे शुष्क और अर्धशुष्क स्थानों पर उगाया जा सकता है. यह घास अधिकतर नीलगिरी पर्वत पर उगती है.

जलवायु एवं भूमि 

यह सूखा एवं ठण्ड अवरोधी होने के कारण मैदानी एवं पहाड़ी भागों में उगाई जा सकती है. यह प्रायः ऐसे शुष्क स्थानों पर भी उगाई जाती है. जहाँ दूसरी घास या पौधे नहीं उग पाते सूख जाते है. यह घास बलुई दोमट या हल्की मिट्टी में उगाई जाती है.

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फसल चक्र 

यह एक बहुवर्षी घास है. जिसकी एक बार बोकर 4 से 5 वर्ष तक चारा प्राप्त किया जा सकता है. सर्दियों में इसके साथ फलीदार फसल बरसीम या रिजका की बुवाई कर सकते है. इसके साथ रिजका या बरसीम की खेती के लिए सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए.

उन्नत किस्में 

इसकी कोई विशेष कोई उन्नत किस्म नही है. विभिन्न स्थानों पर स्थानीय जातियां उगाई जाती है.

खेत की तैयारी 

खेत की एक जुताई तथा 2 से 3 हैरो चलाकर अच्छी प्रकार तैयार कर लेना चाहिए. चूँकि इस घास के बीज छोटे होते है. अतः मिट्टी को भुरभुरी बनाना आवश्यक है, अन्यथा अंकुरण नही हो पाता है. बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है.

बुवाई 

प्रायः यह घास बीज द्वारा बोई जाती है. एक हेक्टेयर भूमि के लिए 3 से 4 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है. तैयार खेत में बीज को 30 से 40 सेमी० की दूरी पर कतारों में बोना चाहिए. इसे छिटक कर भी बोया जा सकता है. किसी भी दशा ने बीज की गहराई 1 सेमी० से अधिक नही होनी चाहिए. बीज का अंकुरण 20 डिग्री सेंटीग्रेड पर अच्छी प्रकार हो जाता है. यदि बुवाई के समय जमीन में नमी कम हो, तो बुवाई के पश्चात् एक हल्की सिंचाई करना आवश्यक है. यह घास बीज के अतरिक्त जड़दार टुकड़ों द्वारा भी लगाईं जा सकती है. इसकी बुवाई या तने के टुकड़ों को लगाने का समय फरवरी से जून-जुलाई तक अच्छा माना जाता है. फरवरी में बुवाई करने के लिए सिंचाई का प्रबंध होना आवश्यक है.

खाद एवं उर्वरक 

अधिक खाद देने से अच्छी उपज होती है. अच्छी उपज के लिए 12 से 15 टन गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद भूमि में डालना चाहिए. इसके बाद 10 से 15 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर डालना चाहिए. खाद एवं उर्वरक डालने के बाद बुवाई करनी चाहिए. हर कटाई के बाद 10 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर डालना आवश्यक है. यदि आवश्यकता हो तो 50 किलोग्राम फ़ॉस्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर बुवाई के समय खेत में डालना चाहिए.

सिंचाई एवं जल-निकास 

यद्यपि इस घास में सामान्यतया सिंचाई की आवश्यकता नही पड़ती है, परन्तु अच्छी पैदावार के लिए गर्मी में प्रति माह एक हल्की सिंचाई करना अच्छा रहता है. जल निकास की व्यवस्था करना भी उत्तम रहता है.

फसल सुरक्षा 

बुवाई के आरंभ में जब पौधे छोटे-छोटे हो, तो खेत में से खरपतवार निकलना आवश्यक है. इसमें कीटों तथा रोगों का विशेष प्रकोप नहीं होता है.

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कटाई-प्रबन्धन एवं उपज 

बुवाई के 60 से 65 दिनों बाद यह घास पहली कटाई के लिए तैयार हो जाती है. बाद में प्रत्येक कटाई 30 से 35 दिनों के अंतर पर करनी चाहिए. इस प्रकार से उत्तरी भारत में 6 से 7 कटाइयां तथा दक्षिण भारत में 8 से 9 कटाइयां प्रति वर्ष ली जा सकती है. अच्छे तथा पौश्ग्तिक चारे के लिए इसकी कटाई पुष्पावस्था के पहले करनी चाहिए. पौधे कम से कम भूमि से 10 से 15 सेमी० की ऊंचाई  से काटना चाहिए ताकि पौधों की पुनर्व्रध्दि अच्छी हो.

अच्छी भूमि में खाद और पानी के उपलब्ध होने पर इसकी उपज 450 से 600 कुंटल (हरा चारा) प्रति हेक्टेयर होती है. कभी-कभी दक्षिण भारत में यह 1500 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है.

किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान के इस लेख से ब्लू पैनिक घास की पूरी जानकारी मिल पायी होगी. अगर इस घास से सम्बंधित आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है. इसके अलाव यह लेख कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताये.महान कृपा होगी.

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आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द. 

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