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Nadep compost – नैडप कम्पोस्ट की पूरी जानकारी ( हिंदी में)

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नैडप कम्पोस्ट (Nadep compost) की पूरी जानकारी 

नैडप कम्पोस्ट (Nadep compost) की पूरी जानकारी 

नमस्कार किसान भाईयों,  नैडप कम्पोस्ट (Nadep compost) का उपयोग देश के ज्यादातर किसानों द्वारा अपनाया जा रहा है. जिससे किसानों की उपज अच्छी होती है. और रासायनिक उर्वरकों पर होने वाले खर्च में भी कमी आती है. किसानों भाईयों का काफी लाभ भी होता है. इसलिए आज गाँव किसान (Gaon Kisan) अपने इस लेख में  नैडप कम्पोस्ट (Nadep compost) क्या है ? इसकी पूरी जानकारी देगा. वह भी अपने देश की भाषा हिंदी में. जिससे किसान भाई इसका पूरा फायदा ले सके तो आइये जानते है  नैडप कम्पोस्ट (Nadep compost) की पूरी जानकारी-

 नैडप कम्पोस्ट क्या है ?

श्री नारायण देवराव पानधारी पांडे, निवास ग्राम-पुसाद, जिला-यवतमाल, महाराष्ट्र द्वारा नैडफ कम्पोस्ट विधि विकसित की गयी थी. इस विधि में ईटों का एक ढांचा बनाते है. जिसका आकार 2 मीटर चौड़ा, 3.5 मीटर लंबा तथा एक मीटर ऊँचा होता है. ढांचे की जुड़ाई पक्के गारे से की जाती है. ताकि ढांचे का प्रयोग लम्बे समय तक किया जा सके. इसकी दीवारों में कुछ छेद भी छोड़े जाते है. ताकि समय-समय पर आवश्यकता पड़ने पर पानी का छिड़काव किया जा सके एवं वायु संचार भी अच्छी प्रकार हो सके. इस ढांचे के अन्दर खेत, खलिहान, घर व रसोई से प्राप्त फसल अवशेष, गोबर, पानी एवं मिट्टी की मात्रा के साथ सड़ाया जाता है. इस विधि से सड़ी खाद बहुत उच्च गुणवत्ता की होती है. तथा बेकार अनुपयोगी पदार्थों का प्रयोग हो जाता है.

ढांचा बनाने की विधि 

बताई गयी लम्बाई चौड़ाई के हिसाब से 9 इंच मोटी ईट से चिनाई की जाती है. प्रथम तीन पंक्तियों में कोई छेद नही होता है, चौथी, छठी, आठवी, दशवी, पंक्ति की चिनाई में एक फुट के अंतराल पर 5 इंच चौड़ाई का छेड़ बनाते जाते है. ग्यारहवी, बारहवी एवं तेरहवी पंक्ति में पुनः कोई छेड़ नही छोड़ा जाता है. ढांचे के अंदर की जमीन को ईट बिछाकर पक्का कर दिया जाता है.

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ढांचा भरने की सामग्री एवं विधि 

सामग्री 

क्रम संख्या मद इकाई
1 कचरा 20-25 कुंटल
2 मिट्टी 5-10 कुंटल
3 गोबर 3 से 4 कुंटल
4 पानी 800 से 1200 लीटर
5 पी० एस० बी० कल्चर 4 पैकेट
6 एजेटोबैक्टर 4 पैकेट
7  गो मूत्र 10 लीटर
8 गुड़ 2 किग्रा०
9 हवन की राख 100 ग्राम

विधि

  • 40 से 50 किग्रा० गोबर 100 से 150 लीटर पानी में घोलकर ढांचे की तह पर डाल देते है.
  • 8 इंच मोटी कचरे की दबा-दबा कर बिछाते है फिर 30 से 40 किग्रा गोबर 100 से 125 लीटर पानी कचरे के ऊपर डालते है. तत्पश्चात लगभग 100 किग्रा० मिट्टी को ऊपर बिछाते है.
  • यह क्रिया ढांचे की ऊंचाई से 10 से 12 इंच ऊपर भरने तक दुहराते है.
  • बाद में गोबर एवं मिट्टी की मोटी परत लगाकर ढांचे को ऊपर से बंद कर देते है. 70 से 80 दिन बाद गड्ढे के ऊपर 15 से 20 छेद मोटे डंडे की सहायता से बना देते है. तथा 10 लीटर गो मूत्र में पी० एस० बी० एजेटोवैक्टर कल्चर के पैकेट, 2 किग्रा गुड़ एवं 100 ग्राम हवन की राख को मिलाकर घोल तैयार कर लेते है. उक्त घोल को छेदों में डालकर छेंदों को पुनः बंद कर दिया जाता है. इसके 30 से 40 दिन बाद खाद तैयार हो जाती है. इस प्रकार एक बार की खाद 100 से 120 दिन में पूर्ण रूपेण तैयार हो जाती है.

खाद निकालने की विधि 

100 से 120 दिन बाद के उपरांतखाद को निकाल कर छान लेते है. तथा बगैर सड़े पदार्थ को अलग कर लेते है और किसी छायादार स्थान में खाद को ढक कर रख लेते है. बैगेर सड़े पदार्थ को पुनः भराई में प्रयोग करते है. इस प्रकार एक बार में 30 कुंटल के लगभग अच्छी सड़ी खाद प्राप्त होती है. वर्ष में तीन बार भराई करने से लगभग 100 कुंटल खाद प्राप्त होती है.

खाद में तत्वों की उपलब्धता  

  • नत्रजन 0.75 से 1.75 प्रतिशत .
  • फास्फोरस 0.70 से 0.90 प्रतिशत.
  • पोटाश 1.20 से 1.40 प्रतिशत.
  • सूक्ष्म तत्व, पौधों/फसलों की आवश्यकतानुसार.

खाद प्रयोग की मात्रा एवं विधि 

दलहनी एवं तिलहनी फसलों में 50 से 60 कुंटल प्रति हेक्टेयर, गेहूं-धान अदि में 90 से 100 कुंटल प्रति हेक्टेयर, सब्जी वाली फसलों में 120 से 150 प्रति हेक्टेयर खाद प्रथम जुताई के समय प्रयोग की जाती है.

किसी भी एक खेत में लगातार तीन वर्ष तक इस खाद का प्रयोग करते हुए फसल चक्र के सिद्धांत का पालन किया जाय तो प्रथम वर्ष में रासायनिक उर्वरकों की मात्रा का 50 प्रतिशत, द्वितीय वर्ष में 75 प्रतिशत एवं तृतीय वर्ष में 100 प्रतिशत प्रयोग बंद किया जा सकता है. एवं भरपूर उपज भी ली जा सकती है.

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नैडप कम्पोस्ट प्रयोग के लाभ 

यदि किसी भी खेत में वर्ष भर में एक बार फसल लेने के पूर्व नैडप कम्पोस्ट का प्रयोग कर लिया जाय तथा लगातार तीन वर्ष तक प्रयोग किया जाय तो खेत एवं फसल पर निम्नांकित प्रभाव पड़ता है.

  1. चौथे वर्ष रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग बंद किया जा सकता है.
  2. भूमि में पानी धारण करने की क्षमता बढ़ जाती है. तथा गेहूं जैसी फसल को एक पानी कम देने से पैदावार पूरी प्राप्त होती है.
  3. फसलों में कीट या व्याधि के प्रकोप को 50 से 75 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है.
  4. फसलों से प्राप्त उपज का स्वाद अच्छा होता है. बाजर में 10 से 20 प्रतिशत अधिक मूल्य पर बेचीं जा सकती है.
  5. जमीन को ऊसर या बंजर होने से बचाया जा सकता है.
  6. खेती की लगत 20 प्रतिशत तक घटाई जा सकती है.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उमीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) के नैडप कम्पोस्ट (Nadep compost) क्या है के इस लेख से आप को सभी जानकरी मिल पायी होगी. गाँव किसान (Gaon Kisan) द्वारा नैडप कम्पोस्ट (Nadep compost) क्या है से लेकर इसके प्रयोग लाभ तक की सभी जानकारियां दी गयी है. फिर भी नैडप कम्पोस्ट (Nadep compost) के लेकर आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कम्नेट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जारूर बताये. महान कृपा होगी.

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.

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