नवम्बर महीने में लहसुन की खेती में अपनाए ये तरीका, उपज होगी दूनी

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नवम्बर महीने में लहसुन की खेती
नवम्बर महीने में लहसुन की खेती - Garlic Farming

नवम्बर महीने में लहसुन की खेती – Garlic Farming

नमस्कार किसान भाइयों, हमारे देश में नवम्बर महीने में लहसुन की खेती की जाती है. लहसुन की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है इसके लिए किसान को खास किस्मों का इस्तेमाल करना चाहिए एवं खेती में कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ेगा. इसलिए गाँव किसान (gaon kisan) आप सभी इस सीजन नवम्बर महीने में लहसुन की खेती में अच्छी उपज ले पाए, इसकी पूरी जानकारी इस लेख में देगा. तो आइये जानते है नवम्बर महीने में लहसुन की खेती की पूरी जानकारी-

इन उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करे 

इस नवम्बर सीजन तक किसान लहसुन की खेती करना चाहते हैं तो उन्हें खास तरह की उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करना चाहिए. लहसुन की गोदावरी, श्वेता और भीमा ओमेरी जैसी किस्में अधिक लाभ पहुंचा सकती हैं.

इतना ही नहीं लहसुन की राजली गादी जी-451, फवरी, सलेक्षन-2 और सलेक्षन-10 किस्में भी अच्छी उपज देती है. इन बीजों को क्षेत्र के वातावरण और मिट्टी के हिसाब से विकसित किया गया है. जिससे किसनों को अच्छा लाभ मिलेगा.

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इन बातों का रखे विशेष ध्यान 

अगर किसान लहसुन की खेती करना चाहते हैं तो कुछ बातें ध्यान रखनी चाहिए. इससे उनकी फसल अच्छी होगी.

जुताई – लहसुन की खेती में सबसे पहले खेत की कम से कम तीन बार जोताई करानी चाहिए.

खाद की मात्रा – लहसुन की खेती भरपूर मात्रा में खाद का डालना चाहिए. एक हेक्टेयर खेत में 100 किलो ग्राम नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस, पोटाश और सल्फर का प्रयोग करें. लेकिन यह ध्यान रखें कि 100 किलो नाइट्रोजन खेत में एक ही बार में नहीं डालना है, अगर ऐसा किया तो फसल बर्बाद हो जाएगी. फसल लगाते समय 35 किलो, लगाने के 30 दिन बाद 35 किलो और 45 दिन बाद 30 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खाद डालना चाहिए.

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रोपाई – खेत की जुताई और खाद डालने के बाद बारी आती है कतार बनाने की. इसके लिए इस बात का ध्यान रखना है कि कतार की दूरी 15 सेंटी मीटर हो. वहीं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटी मीटर होने चाहिए.

खरपतवार नियंत्रण – फसल रोपने के बाद खरपतवार हटाना बिलकुल भी नहीं भूलना चाहिए. इसके लिए उन्हें खेत में पेंडामेथलिन की 3.5 से 4 मिली दावा की मात्रा को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़क दें.

सिंचाई – बुआई के तत्काल बाद हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए. शेष समय में वानस्पतिक वृद्धि के समय 7-8 दिन के अंतराल पर तथा फसल परिपक्वता के समय 10-15 दिन के अंतर पर सिंचाई करते रहना चाहिए. सिंचाई हमेशा हल्की एवं खेत में पानी भरने नही देना चाहिए. अधिक अंतराल पर सिंचाई करने से कलियां बिखर जाती हैं.

इन बातों का ध्यान रखकर फसल रोपेंगे तो अच्छी उपज के साथ अच्छा लाभ मिल सकता है. धन्यवाद

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