आम की लाल चींटी | Red ant | Mango pests

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आम की लाल चींटी
आम की लाल चींटी| Red ant

आम की लाल चींटी| Red ant

नमस्कार किसान भाईयों, आम की लाल चींटी वास्तव में आम का हानिकारक कीट नही है. लेकिन यह दूसरे कीट और रोग को एक से दूसरे पेड़ पर ले जाने का काम करती है. जिससे फसल को नुकसान पहुंचता है. इसलिए गाँव किसान के आज के इस लेख में आम की लाल चींटी की पूरी जानकारी मिल पाएगी. जिससे किसान भाई अपने बाग़ में अच्छी उपज पा सके. तो आइये जानते है आम की लाल चींटी की पूरी जानकारी-

आम की लाल चींटी की पहचान 

यह कीट लाल से हलके भूरे रंग का होता है. इसकी लम्बी लगभग 1 सेमी० से 1.25 सेमी० होती है. ये सामाजिक कीट है. और कॉलोनी बनाकर रहता है. इस जाति के कर्मी कीट नारंगी-लाल तथा लगभग एक सेमी० न्लाम्बे होते है. इसका डिम्भक सफ़ेद और लगभग 1.25 मिमी० लंबा होता है. जब यह पूर्ण विकसित हो जाता है. तो लगभग एक सेमी० लंबा हो जाता है. प्यूपा अवध्द होता है. जिसमें उपांग आसानी से देखे जा सकते है.

कीट पाए जाने वाले क्षेत्र 

यह कीट भारत, आस्ट्रेलिया, चीन, इंडोनेशिया, फिलीपाइन, जावा, मलाया, न्यूगिनी, युगांडा एवं दक्षिणी अफ्रीका में पाया जाता है.

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आम को क्षति 

यह कीट वास्तव में आम का हानिकारक कीट नही है. परन्तु ये आम पर पाए जाने वाले कॉक्सिड व एफिड के मधुस्राव को खाते है. ऐसा करते समय ये एफिड व कॉक्सिड के अर्भक को एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर ले जाते है. और इनका प्रकोप फैलाने में मदद करते है. इसके अलावा ये पत्तियों को जोड़कर एक पेड़ पर बहुत सारे घोसले बनाते है. ये घोसले जलसह होते है. चूंकि ये पत्तियां डंठल से अलग नही होती है, अतः ये हरी ही रहती है. ये कीट भोजन की तलाश में एक शाखा से दूसरी शाखा पर घूमते रहते है. और फलों को बुरी तरह काट लेते है.

कहीं कहीं या कीट लाभदायक सिध्द हुए है. चीन एवं इंडोनेशिया में यह कीट आम के गूदे पर खाने वाले घुनों स्टर्नोकोटस फिजिड्स (Sternochetus frigidus) पर खाते हुए पाए गए है. फिलिपीन्स में यह नींबू की हरी बग रिंकोकोरिस सेरेट्स (Rhynchocoris serratus) को नष्ट करते हुए पाई गई है. इसी प्रकार ब्रिटिश सोलोमन द्वीप में यह लाल चींटी एग्जियागेस्ट्स कम्बेली (Axiagastus cambelli), नीदरलैंड में चाय पर ट्राईसेंट्रस जाति (Tricentrus) आदि कीटों को नष्ट करते हुए पाई गई है.

अन्य परपोषी पौधे 

आम के अलावा यह कीट जामुन, नींबू, संतरा, नारियल, कॉफ़ी, लीची, कटहल एवं चाय को भी हानि पहुंचता है.

कीट का जीवन चक्र 

भारत में यह चींटी कीट पूरे साल सक्रिय रहता है. मार्च-अप्रैल के महीने में पेड़ों की पत्तियों को मोड़कर रेशमी धागों से ये अपने घोंसलें (nests) बनाना शुरू कर देती है. और साड़ी गर्मियों भर बनाती रहती है. रेशमी धागे दिम्भक अपनी रेशम ग्रंथियों द्वारा रेशमी धागे बनाते है. कर्मी चींटियाँ इनको मुंह में लिए रहती है. इनके घोसलें में चीटियाँ, शल्की कीट लेडबिरड भृंग आदि कीट पाए जाते है.

मादा घोसलें में 100 से 150 सफ़ेद व अंडाकार अंडे देती है. ये अंडे 4 से 8 दिन में फूट जाते है. और इनसे 1.25 मिमी० लम्बे, सफ़ेद भृंगक निकलते है. ये भृंगक 10 से 17 दिन में पूर्ण विकसित हो जाते है. पूर्ण विकसित भृंगक लगभग एक सेमी० लंबा होता है. ये घोसलें में प्यूपा बनाते है. और इनसे 5 से 7 दिन में कीट निकल आते है. इसमें से कुछ कीट पंखदार होते है. जो घोसलें के बाहर हवा में उड़ते हुए संगम करते है. इसे मैथुनी उड़ान कहते है. गर्भित मादा रानी कहलाती है. जो तुरंत अंडे देना शुरू कर देती है. कर्मी चींटी (Worker ant) घोसलें की रक्षा व भोजन का प्रबन्ध करती है. एक वर्ष में इसकी 10 से 12 पीढियां पाई जाती है.

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कीट की रोकथाम 

  • पेड़ पर लगे हुए घोसलों को तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए और नए घोसलें नही बनने देना चाहिए.
  • 0.1 प्रतिशत बी० एच० सी० के घोल का छिड़काव काफी उपयोगी सिध्द हुआ है.

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