आम की छाल-भक्षक इल्ली | Mango bark-eating caterpillar
नमस्कार किसान भाईयों, आम की छाल-भक्षक इल्ली से देश में आम के पेड़ों को काफी नुकसान पहुचता है. इस कीट के कारण पेड़ सूख तक जाते है. जिससे किसान भाईयों को उपज के साथ-साथ बाग़ के पेड़ों की भी हानि उठानी पड़ती है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख के जरिये आम की छाल-भक्षक इल्ली की पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भाई अपने आम के पेड़ों को इस कीट से बचा सके और आम की अच्छी उपज प्राप्त कर पाए. तो आइये जानते है. आम की छाल-भक्षक इल्ली कीट की पूरी जानकारी-
छाल-भक्षक इल्ली कीट पहचान
इस कीट का वयस्क 20 से 25 मिमी० लम्बे, पीले-भूरे पतले होते है. पंखों की फैली हुई अवस्था में ये लगभग 35 से 40 मिमी० चौड़े होते है. इसके अगले पंखों पर लहरदार स्लेटी या गहरी भूरी धारियां होती है. जबकि पिछले पंख भद्दे पीले या धुएं के रंग के होते है.
इसकी इल्लियाँ भद्दे भूरे रंग की होती है. जब ये पूर्ण विकसित होते है, उस समय ये लगभग 3.75 से 5 सेमी० लम्बे होते है. इस सर गहरे भूरे रंग का होता है. ये पेड़ों की छल पर खाते समय अपने शरीर को छाल के टुकड़ों और अपने मल द्वारा, जो आपस में जाली से जुड़े हुए होते है, ढके रहते है.
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कीट पाए जाने वाला क्षेत्र
यह छाल-भक्षक इल्ली कीट भारत, बांग्लादेश, बर्मा, श्रीलंका तथा पाकिस्तान अआदी देशों में पाया जाता है. भारत में इसका प्रकोप बिहार, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब व महाराष्ट्र आदि राज्यों में अधिक पाया जाता है. खासकर आम व अन्य परपोषी पेड़ों काफी नुकसान पहुंचता है.
आम के पेड़ को क्षति
इस कीट की इल्लियाँ पौधों के तनों व शाखाओं की छाल पर टेढ़ी-मेढ़ी सुरंगे बना कर उनके ऊतकों (tissues) को खाती है. छोटे पौधों पर इस कीट का प्रकोप होने पर वह शीघ्र मर जाते है. बड़े पौधे ठीक प्रकार से नही चढ़ते और धीरे-धीरे मरने लगते है.
कीट के अन्य परपोषी पौधे
आम के अलावा यह कीट आंवला, बेर, नींबू, अमरुद, जामुन, लीची, लोकाट, शहतूत, अनार व अन्य बहुत से जंगली एवं सजावटी (Ornamental) पौधों को यह कीट हानि पहुंचाता है.
छाल-भक्षक इल्ली कीट का जीवन चक्र
इस कीट का वैज्ञानिक नाम इंडरबेला क्वाड्रीनोटेरा (Inderbela quadrinotata) है. यह मेटरबेलिडी (Metarbelidae) है. इस जाति की मादा अप्रैल के मध्य से जून के अंत तक काफी सक्रिय रहती है. और नर से संगम करके 15 से 20 अण्डों के समूहों में पौधों की शाखाओं और तनों पर जगह-जगह अंडे देती है. ये अंडे अधिकांशतः उन स्थानों में दिए जाते है. जहाँ छाल में कोई दरार होती है. या जहाँ पर दो शाखाएं अलग-अलग होती है. एक मादा 350 से 600 तक अंडे देती है. बुटानी (1979) के अनुसार एक मादा 2,000 तक अंडे दे सकती है. इन अण्डों से इल्लियाँ निकलकर पेड़ों की दरारों से शाखाओं में घुस जाती है. और ऊतकों को खाना शुरू कर देती है. ये इल्लियाँ दिसम्बर तक पूर्ण विकसित हो जाती है, परन्तु धीरे-धीरे अप्रैल तक खाती रहती है. इसके बाद प्यूपा में परिवर्तित हो जाती है. प्यूपावस्था में 21 से 31 दिन तक रहती है. इसके बाद ये वस्यक पतंगों में परिवर्तित हो जाते है. इस कीट की एक वर्ष में केवल एक पीढ़ी पाई जाती है. वयस्क कीट 3 से 4 दिन तक जीवित रहता है.
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छाल-भक्षक इल्ली कीट का नियंत्रण
- पुराने और घने बागों इस कीट के प्रकोप से बचने के लिए पौधे दूर-दूर लगाने चाहिए. इसके अलावा बाग़ की साफ़-सफाई अच्छी प्रकार रखनी चाहिए.
- जिन पेड़ों में इसका प्रकोप हो, उसमें छेदों में तार डालकर इल्लियों को नष्ट किया जा सकता है.
- पेड़ों के तनों व शाखाओं से कीट के द्वारा बनाए गए जाले को साफ़ करके तनों के छेदों में कोई कीटनाशी या घूमन विष भर कर छेद को मोम द्वारा बंद करने से इल्लियाँ नष्ट हो जाती है. इस कार्य के लिए इथाइलीन डाइब्रोमाइड, डी० डी० वी० पी०, थायोडान, डिप्ट्रेक्स, मैलाथियान व फेनिट्रोथियान आदि कीटनाशी का उपयोग करना चाहिए.
निष्कर्ष
किसान भाईयों उम्मीद है, गाँव किसान (Gaon Kisan) के इस लेख से आम के छाल-भक्षक इल्ली कीट के बारे में पूरी जानकारी मिल पायी होगी. फिर भी इस लेख से सम्बंधित आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताएं, महान कृपा होगी.
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