आम का शल्क कीट | Coccid
नमस्कार किसान भाईयों, आम का शल्क कीट (Coccid) की इल्लियाँ काफी नुकसान पहुंचाती है. यह आम के पौधे और पत्तियों को काफी नुकसान पहुंचाती है. जिससे बागवान किसानों को उपज में काफी नुकसान उठाना पड़ता है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में आम का शल्क कीट (Coccid) के बारे में पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भी इस कीट के प्रकोप से बच सके. तो आइये जानते है आम का शल्क कीट (Coccid) की पूरी जानकारी-
आम का शल्क कीट (Coccid) की पहचान
इस कीट के अर्भक लगभग 2 मिमी० लम्बे, अपारदर्शी, लम्बाकार गोल, पीले-भूरे रंग के होते है. ये सफ़ेद मोम जैसे पूर्णी पदार्थ से ढके रहते है. मादा कीट गोल, अल्पाकरदर्शी तथा पीले भूरे रंग के होते है.
कीट पाया जाने वाला क्षेत्र
यह कीट भारत के अलावा श्रीलंका, चीन, घाना, ताइवान, फिजी, मैक्सिको, पश्चिमी द्वीप समूह, अफ्रीका एवं मोरिशस में पाया जाता है.
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आम को क्षति
इस कीट के अर्भक तथा मादा कीट मुलायम टहनियों, शाखाओं तथा पत्तियों का रस चूसकर क्षति पहुंचाते है. ज्यादा प्रकोप होने पर पेड़ों पर बौर पर और फल कम आते है. यह कीट नर्सरी में आम के छोटे पौधों को बहुत बहुत क्षति पहुंचता है. प्रकोपग्रस्त पौधों का विकास रुक जाता है.
अन्य परपोषी पौधे
आम के अलावा यह कीट नींबू , केला, अमरुद, जामुन व पपीता को भी क्षति पहुंचता है.
कीट का जीवन चक्र
इस कीट का वैज्ञानिक नाम एस्पीडिओटस डेस्ट्रेक्टर (Aspidiotus destructor singnorest) है. यह डायस्पिडिडी (Diaspididae) कुल का कीट है. यह कीट लैंगिक व अनिषेक जनन, दोनों ही प्रकार से वंश वृध्दि करता है. मादा शल्क के नीचे अंडे देती है. जो एक दो दिन में फूट जाते है. अर्भक 25 से 30 दिन में पूर्ण विकसित हो जाते है.
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कीट की रोकथाम
- इसके प्रकोप की प्रारम्भिक अवस्था में क्षतिग्रस्त टहनियों एवं शाखाओं को काटकर नष्ट कर देना चाहिए.
- 0.03 प्रतिशत ऑक्सीमेटान मेथाइल, डाईमिथोएट, फास्फोमिडान या मोनोक्रोटोफ़ॉस के छिड़काव से अर्भक नष्ट हो जाते है.
निष्कर्ष
किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) के इस लेख से आम के शल्क कीट (Coccid) से संबंधित जानकारी मिल पायी होगी. फिर भी इस कीट से सम्बंधित अगर आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेंट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताएं, महान कृपा होगी.
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.