अश्वगंधा की लाभकारी खेती – Winter cherry farming

0
अश्वगंधा की लाभकारी खेती
अश्वगंधा की लाभकारी खेती - Winter cherry farming

अश्वगंधा की लाभकारी खेती – Winter cherry farming

नमस्कार किसान भाईयों, अश्वगंधा भारत में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण औषधीय फसल है. अश्वगंधा को अंग्रेजी में विंटर चैरी (Winter Cherry) कहते है. अश्वगंधा को काफी शक्तिवर्धक माना जाता है. इसलिए बाजार में यह काफी महँगी बिकती है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में अश्वगंधा की लाभकारी खेती के बारे में पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भाई इसकी अच्छी उपज प्राप्त कर सके. तो आइये जानते है अश्वगंधा की लाभकारी खेती की पूरी जानकारी-

अश्वगंधा के औषधीय गुण एवं उपयोग 

अश्वगंधा के पौधे 3 से 6 फीट तक ऊँचे होते है. इसके ताजे पत्तों तथा इसकी जड़ को मसलकर सूंघने से उसमें घोड़े के मूते जैसी गंध आती है. इसकी जड़ मूली जैसी परन्तु उससे काफी पतली (पेंसिल की मोटाई से लेकर 2.5 से 3.75 सेमी० मोटी) होती है. तथा 30 से 45 सेमी० तक लम्बी होती है. यद्यपि यह जंगली रूप में भी मिलती है. परन्तु उगाई गयी अश्वगंधा ज्यादा अच्छी होती है.

अश्वगंधा में विथेनिन और सोमेनीफेरोन एल्केलाइड पाए जाते है. जिनका प्रयोग आयुर्वेदिक तथा यूनानी दवाइयों का निर्माण में किया जाता है. इसके बीज, फल, छाल एवं पत्तियों को विभिन्न शारीरिक व्याधियों के दर्द जोड़ों की सूजन, पक्षाघात तथा रक्तचाप आदि रोगों के उपचार के इस्तेमाल किये जाने की अनुशंसा की गई है. इसकी पत्तियां त्वचा रोग, सूजन एवं घाव भरने में उपयोगी होती है. विथेनिन एवं सोमेनीफेरीन एल्केलाइडस भी इस पौधे की जड़ों में पाया जाता है. अश्वगंधा पर आधारित शक्तिवर्धक औषधि बाजार में टेबलेट, पाउडर एवं कैप्सूल आदि रूप में पायी जाती है.

यह भी पढ़े : सफ़ेद मूसली की खेती कैसे करे – Chlorophytum borivilianum

क्षेत्र एवं विस्तार 

अश्वगंधा का वानस्पतिक नाम विथानिया सेम्नीफेरा (Withania Somnifera) है. यह सोलेनेसी कुल का पौधा है. अश्वगंधा भारत के अलावा स्पेन, फेनारी, मोरक्को, जार्डन, मिस्र, पूर्वी अफ्रीका, बलूचिस्तान (पाकिस्तान) और श्रीलंका में पाया जाता है. भारतवर्ष में में यह पौधा मुख्यतः गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बुंदेलखंड, पंजाब, हरियाणा के मैदानी भागों, महाराष्ट्र, पश्चिमी बंगाल, कर्नाटक, केरल एवं हिमालय में 1500 मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है.

मिट्टी, जलवायु एवं किस्म 

इसकी फसल के लिए बलुई दोमट या लाल मिट्टी जिसका पी० एच० मन 7.5 से 8.0 हो तथा इसमें जल निकास की पर्याप्त व्यवस्था हो अश्वगंधा की खेती के लिए उपयुक्त होती है.

कृषि वैज्ञानिको का मत है कि अपेक्षाकृत निम्न श्रेणी की मिट्टी में भी इसकी खेती संतोषजनक उत्पादन मिल सकता है. यह पछेती खरीफ की फसल है जिसे 650 से 750 मिमी० वर्षा वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से उत्पादित किया जा सकता है.

अश्वगंधा की खेती के लिए जवाहर अश्वगंधा-20 प्रजाति ज्यादा उअप्युक्त पायी जाती है.

अश्वगंधा की बिजाई की विधि 

अश्वगंधा की सीधे बीज बुवाई से बुवाई हेतु 10 से 12 किग्रा० बीज प्रति हेक्टेयर की दर से तैयार खेत में भारी वर्षा के उपरांत छिड़काव विधि से बोते है. इसकी बिजाई जुलाई से सितम्बर माह तक की जाती है.

इन बीजों को बोने से पूर्व डायथेन एम-45 से 3 ग्राम दवा प्रति किग्रा० बीज की दर से उपचारित करना आवश्यक है. जिससे बीमारियों आने की संभावना कम हो जाती है.

बिजाई के 25 से 30 दिन बाद बिरलीकरण कर 150 से 200 पौधे प्रति वर्ग रखते है. नर्सरी में पौध तैयार करके भी रोपड़ किया जा सकता है. इस विधि से 5 किग्रा० बीज को मानसून आने के समय नर्सरी में बोया जाता है. 6 से 7 दिनों में अंकुरण पूर्ण रूप से होने के 6 सप्ताह के पश्चात पौधे रोपड़ हेतु तैयार हो जाते है. पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी० एवं पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेमी० रखते है. बुवाई से पहले 15 किग्रा० नाइट्रोजन एवं 15 किग्रा० फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाते है.

यह भी पढ़े : Clove farming in Hindi – लौंग की खेती की पूरी जानकारी (हिंदी में)

फसल कटाई एवं उपज  

अश्वगंधा की फसल की कटाई 150 से 170 दिन बाद दिसम्बर से फरवरी माह के अंत तक की जाती है. फसल की परिपक्वता इसके फलों के लाल होने एवं पत्तियों के सूखने से मालूम होती है. परिपक्वता होने पर सम्पूर्ण पौधे को उखाड़ लिया जाता है. इसके उपरांत जड़ों के गुच्छों से 1 से 2 सेमी० ऊपर तना अलग कर देते है. सुखाने की सुविधा हेतु जड़ों को 7 से 10 सेमी० लम्बाई के टुकड़ों में काट लेते है. फलों को सूखे पौधे तोड़कर उनकी गहराई करके बीज निकाल लेते है.

अश्वगंधा की उन्नति तरीके से देखभाल करने पर 4 से 6 कुंटल जड़े तथा 50 किग्रा० न्बीज प्राप्त हो जाता है. इसको करके किसान भाई अधिक लाभ प्राप्त कर सकते है.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon kisan) के इस लेख से अश्वगंधा की लाभकारी खेती से सम्बंधित जानकारी मिल पायी होगी. फिर भी आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताये, महान कृपा होगी.

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here