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Oregano farming – अजवाइन की खेती की पूरी जानकारी (हिंदी में)

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अजवाइन की खेती (Oregano farming) की पूरी जानकारी

अजवाइन की खेती (Oregano farming) की पूरी जानकारी

 नमस्कार किसान भाईयों, अजवाइन की खेती (Oregano farming) भारत में प्रमुख रूप से मसाले के लिए की जाती है. किसान भाई इसकी खेती से काफी लाभ कमा सकते है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख से अजवाइन की खेती (Oregano farming) की पूरी जानकारी देगा, वह भी अपने देश की भाषा हिंदी में. जिससे किसान भाई अच्छी उपज प्राप्त कर सके. तो आइये जानते है अजवाइन की खेती (Oregano farming) की पूरी जानकारी-

अजवाइन के फायदे 

अजवाइन का उपयोग अनेक घरेलू एवं आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है. आयुर्वेद के मतानुसार अजवाइन पाचक, रुचिकारक, तीक्ष्ण, गरम, चटपटी, हल्की, दीपन व कड़वी होती है. अजवाइन कफ, वायु, पेट-दर्द, वायु-गोला, आफरा व कृमि रोग को नष्ट करने में सक्षम है. अजवाइन मुख्य उपयोग मसाले के रूप में बिस्किट्स और नमकीन भोज्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाने में किया जाता है. सब्जियों में अजवाइन एक मसाले के रूप में डाली जाती है. देर से पचने वाली सब्जियों जैसे अरबी, जिमीकंद आदि में अजवाइन विशेष तौर पर डाली जाती है. ऐसा माना जाता है कि अजवाइन से ऐसी सब्जियां न सिर्फ अधिक स्वादिष्ट बन जाती है अपितु इनकी पाचकता भी बढ़ जाती है.

उत्पत्ति एवं क्षेत्र वितरण  

वाणिज्यिक अजवाइन कैरुम कॉप्टिकम (Carum copticum) नामक पौधे द्वारा उत्पन्न सुखाये हुए वेश्मस्फोटी फल है. इसकी उत्पत्ति भूमध्य सागरीय क्षेत्र है. इसकी खेती मुख्य रूप से ईरान, मिस्र, अफगानिस्तान,भारत में की जाती है. भारत में यह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार एवं बंगाल में उगाई जाती है. इसकी सर्वाधिक खेती राजस्थान के चित्तौड, निम्बाहेड़ा तथा झालावाड व मध्य प्रदेश के इंदौर, मंदसौर, उज्जैन तथा ग्वालियर क्षेत्र में की जाती है.

जलवायु एवं भूमि (Oregano farming)

अजवाइन की अच्छी बढवार एवं उपज के लिए सर्द एवं शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है. पाले से इसकी फसल को हानि पहुंचती है. नमी की अधिकता होने पर बीमारियों एवं कीटों का प्रकोप अधिक फैलता है. इसलिए वातावरण में अधिक नमी होना विशेषकर पुष्पन के बाद, नुकसानदायक होता है.

अजवाइन की खेती बलुई मिट्टी को छोड़कर सभी प्रकार की मिट्टियों में की जा सकती है. मिट्टी में जीवांश की उचित मात्रा होने से अच्छी उपज होती है. इसके अलावा दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम होती है. भूमि में जल निकास का उचित प्रबंध होना उचित होता है.

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उन्नत किस्में (Oregano farming)

अजवाइन की उन्नत किस्में जो बुवाई के लिए उपयुक्त है निम्नवत है-

लाभ सलेक्शन – यह किस्म आंध्र प्रदेश में बुवाई के लिए उपयुक्त है. इसके पौधे की औसत ऊंचाई 80 सेमी० होती है. इस किस्म की फसल 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.

लाभ सलेक्शन 2 – इस किस्म को भी आंध्र प्रदेश में बुवाई के लिए उपयुक्त माना जाता है. इसके पौधे झाड़ीदार होते है. इसमें शाखाओं की संख्या प्रति पौधा 40 से 45 तक होती है.

आर० ए० 1-80 – इस किस्म की बुवाई बिहार राज्य में की जाती है. यह एक पछेती किस्म है. इसकी फसल 140 से 160 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसकी अधिकांश शाखाएं समय पर निकलती है. तथा फूल अपेक्षाकृत देर से आते है. इसके दाने छोटे परन्तु सुगन्धित होते है.

आर० ए० 19-80 – आजवाइन की इस किस्म को मुजफ्फर जिले में विकसित किया गया है. इसके पौधे 135 से 150 सेमी० लम्बे होते है. शाखाओं की संख्या 38-40 प्रति पौधा है. यह 125 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है. इसके बीज अपेक्षाकृत कम सुगन्धित तथा बहुत बड़े आकार के होते है.

गुजरात अजवाइन-1 – इस किस्म को गुजरात एवं राजस्थान में बुवाई के लिए उपयुक्त है. स्थानीय (लोकल) किस्म की तुलना में यह किस्म गुजरात राज्य में करीब 25 प्रतिशत अधिक पैदावार देती है. यह 175 से 180 दिन में पककर तैयार होती है.

खेत की तैयारी 

अजवाइन की खेती के लिए सबसे पहले खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से कर ले. इसके बाद दो से तीन बार गहरी जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से करके, पाटा जरुर लगाए, जिससे मिट्टी भुरभुरी हो जाय. सिंचित क्षेत्रो में यदि मिट्टी में नमी कम है तो खेत में सिंचाई कर पलेवा कर ले.

बीज एवं बुवाई 

अजवाइन 160 से 170 दिन में पकने वाली फसल है. असिंचित क्षेत्रों में इसकी बुवाई अगस्त में की जाती है. जबकि सिंचित क्षेत्रो में अक्टूबर या नवम्बर में की जाती है. बुवाई का सर्वोत्तम समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक का होता है. अजवाइन की छिटकवां विधि से या कतारों में की जाती है. कतारों में बुवाई करने में 6 से 7 किग्रा० तथा छिटकवाँ  विधि से बुवाई करने में 10 से 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है. कतार से कतार बुवाई में 30 से 45 x 20 से 25 सेमी० की दूरी रखते है.

सिंचाई (Oregano farming)

अजवाइन वैसे तो सूखा रोधी फसल है. परन्तु इसकी खेती में एक लम्बा समय लगता है. इसलिए इसकी फसल को सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है. बुवाई के बाद पहली सिंचाई जल्द ही करनी चाहिए. सिंचाई करते समय यह ध्यान रखे बहाव अधिक तेज न हो नही हो बीज बहकर एक किनारे हो जाएगा. और उपज में को भारी नुकसान होगा. इसके बाद आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करे. पूरी फसल के दौरान 2 से 3 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ती है.

खरपतवार नियंत्रण

बुवाई के उपरान्त अजवाइन के पौधों की शुरुवात में बढ़वार धीमी होती है. भूमि पर्याप्त नमी होने तथा फसल धीमी बढ़ोत्तरी के कारन खरपतवार में अधिक तेजी से वृध्दि होती है. इसलिए बुवाई के एक से डेढ़ महीने बाद निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकाल देना चाहिए. इसके उपरांत जब भी खरपतवार अधिक दिखाई दे तो निराई-गुड़ाई करके इन्हें निकल देना चाहिए. जिससे फसल में अच्छी वृध्दि हो सके.

कीट एवं रोग रोकथाम 

प्रमुख रोग एवं रोकथाम 

छाछया रोग – अजवाइन का यह छाछया रोग (चूर्णी फफूंद) रोग संभवतः Erysiphae sp. नामक कवक से उत्पन्न होता है. रोग ग्रसित पौधे पर सफ़ेद-सफ़ेद चूर्ण दिखाई पड़ता है. अधिक प्रकोप होने पर यह रोग फसल को अधिक नुकसान पहुंचता है.

रोकथाम – इस रोग की रोकथाम के लिए कैराथेन एल० सी० के 0.1 प्रतिशत दवा के साथ 400 से 500 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव किया जा सकता है. 15 दिन बार पुनः छिड़काव करना चाहिए.

झुलसा रोग – अजवाइन की फसल में आमतौर से पुष्पन के बाद जहाँ-तहां झुलसा आक्रमण देखा जाता है. यह रोग फफूंद की वजह से फैलता है. पौधों पर यह रोग मौसम में नमी के बने रहने की वजह से फैलता है. रोग के लगने पर शुरुवात में पत्तियों पर हल्के धब्बे दिखाई देने लगते है. रोग बढ़ने पर पत्तियां सूख कर नष्ट हो जाती है.

रोकथाम – इस रोग की रोकथाम के लिए मेन्कोजेब का उचित मात्रा में छिड़काव करवाना चाहिए.

प्रमुख कीट एवं रोकथाम 

चैम्पा कीट – अजवाइन की फसल पर मुख्यतः फूल आते समय या उसके बाद चैम्पा (एफिड) का आक्रमण होता है. ये कीड़े पौधे के कोमल भागों का रस चूस लेते है. जिससे उपज में भारी कमी आती है.

रोकथाम – इस कीट की रोकथाम के लिए फसल पर फ़ॉस्फोमिडॉन 85 ई० सी० 250 मिली० या डाइमिथाएट 30 ई० सी० 1000 मिली० प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पानी में मिलाकर छिड़काव करे. 10 दिन पुनः छिड़काव करे. छिड़काव शाम को करे जिससे मधुमक्खियों को नुकसान न पहुंचे.

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कटाई एवं मड़ाई (Oregano farming)

अजवाइन की फसल जब पकाना शुरू हो जाय तो काटकर छोटी-छोटी पूलियां बनाकर सूखने के लिए धूप में डाल देते है. सुखाते समय पूलियां को उललाते रहे. जिससे वह पूरी तरह से सूख जाय और नमी खत्म हो जाय. बाद में इन्हें डंडों से पीटकर दाने अलग कर लेते है. अजवाइन को किसी साफ़ फर्श पर ही पिटाई करनी चाहिए. जिससे दाने आसानी से समेटे जा सके. बाद में द्दनों को साफ़ कर धूप में सुखाकर बोरियों में भरकर सूखे स्थान में भण्डारण कर देते है.

उपज (Oregano farming)

खेती की उन्नत विधि अपनाने पर 8 से 10 कुंटल प्रति हेक्टेयर उपज असिंचित तथा 10 से 12 कुंटल कुंटल प्रति हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र में आसानी से अजवाइन प्राप्त की जा सकती है.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) के अजवाइन की खेती (Oregano farming) से सम्बंधित लेख से आपको सभी जानकारियां मिल पायी होगी. गाँव किसान (Gaon Kisan) द्वारा अजवाइन के फायदे से लेकर उपज तक सभी जानकारियां दी गयी है. फिर भी अजवाइन की खेती (Oregano farming) से सम्बंधित कोई जानकारी या प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते हो. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताये. महान कृपा होगी.

आप सभी लोगो का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द. 

 

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