धान की फसल में कीट प्रबंधन कैसे करे ? | Pest in Paddy

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धान की फसल में कीट प्रबंधन
धान की फसल में कीट प्रबंधन कैसे करे ?

धान की फसल में कीट प्रबंधन कैसे करे ? | Pest Management in Paddy Crop

नमस्कार किसान भाईयों-बहनों, विश्व की 50 प्रतिशत आबादी का मुख्य भोजन चावल है. और इसकी 7,000 प्रजातियाँ विश्व में बोई जाती है. जिसमें से अपने देश में 5000 किस्मों की खेती की जाती है. चावल भारत समेत कई एशियाई देशों की मुख्य खाद्य फसल है. खरीफ के मौसम की मुख्य फसल धान लगभग पूरे भारत में उगाया जाता है. लेकिन कुछ कीट इसकी फसल को काफी नुकसान पहुंचाते है. जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. इसीलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में धान की फसल में कीट प्रबंधन कैसे करे ? की पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भाई अच्छा उत्पादन लेकर लाभ कमा सके. तो आइये जानते है धान की फसल में कीट प्रबंधन कैसे करे ? –

धान में लगने वाले कीट 

पौध फुदके कीट 

पौध फुदके भूरे, काले एवं सफ़ेद रंग के छोटे-छोटे कीट होते है. जिनके शिशु व वयस्क दोनों ही पौधे के तने व पर्णाच्छद से रस चूसकर फसल को हानि पहुंचाते है.

कीट नियंत्रण – फसल पर इस कीट की निगरानी बहुत जरुरी है. क्योकि फुदके तने पर होते है. तथा पत्तों पर दिखाई नही पड़ते है. इनकी निगरानी के लिए प्रकाश-प्रपंच (Light trap) का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा आवश्यकतानुसार इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस० एल० 1 मिली० प्रति 3 लीटर पानी या थायोमेथोक्जम 25 डब्ल्यू० पी० 1 ग्राम प्रति 5 लीटर या बी०पी०एम०सी० 50 ई०सी० 1 मिली० प्रति लीटर या कार्बेरिल 50 डब्ल्यू पी० 2 ग्राम प्रति लीटर या बुप्रोफेजिन 25 एस० सी० 1 मिली० प्रति लीटर पानी का छिड़काव करे. छिडकाव करते समय नोजल पौधों के तनों पर रखना चाहिए.

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तना छेदक कीट 

तना छेदक कीट की केवल सूंडीयां ही फसल को हानि पहुंचाती है. जबकि वयस्क पतंगें फूलों के शहद आदि पर निर्वाह करते है. बाली आने से पहले इनके हानि के लक्षणों को डेड-हार्ट तथा बाली आने बाद सफ़ेद बाली के नाम से जाना जाता है.

कीट नियत्रंण – इस कीट की संख्या निगरानी के लिए प्रकाश प्रपंच का उपयोग करना चाहिए. निगरानी के लिए फेरोमोन प्रपंच 5 प्रति पीला तना छेदक के लिए लगायें. रोपाई के 30 दिन बाद ट्राइकोग्रामा जैपोनिकम (ट्राइकोकार्ड) 1-1.5 लाख प्रति हेक्टेयर प्रति सप्ताह की दर से 2-6 सप्ताह तक डाले. आवश्यकतानुसार दानेदार कीटनाशी जैसे कार्बेफ्युरान 3 जी या कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी या फिप्रोनिल 0.3 जी 25 किग्रा० प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा क्लोरोपायरीफ़ॉस 20 ईसी० 2 मिली० प्रति लीटर या क्विनलफ़ॉस 25 ईसी० 2 मिली० प्रति लीटर या कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50 एसपी० 1 मिली० प्रति लीटर का छिडकाव करे.

पत्ता लपेटक कीट  

इस कीट की भी केवल सूड़िया ही फसल को हानि पहुंचाती है. जबकि वयस्क पतंगे फूलों के शहद पर ज़िंदा रहते है. सूडी पत्तों के दोनों किनारों को सिलकर इनके हरे पदार्थ को खा जाती है. इसके अधिक प्रकोप होने पर फसल झुलसी नजर आती है.

कीट नियंत्रण – इस कीट की निगरानी के लिए भी प्रकाश-प्रपंच का प्रयोग करना चाहिए. ट्राइकोग्रामा जैपोनिकम (ट्राइकोकार्ड) 1-1.5 लाख प्रति हेक्टेयर प्रति सप्ताह की दर से 30 दिन रोपाई के उपरांत 3-4 सप्ताह तक डालना चाहिए. आवश्यकतानुसार क्विनलफ़ॉस 25 ईसी० 25 मिली० प्रति लीटर या क्लोरोपायरीफ़ॉस 20 ईसी० 2.5 मिली० प्रति लीटर या कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 50 एसपी० 1 मिली० प्रति लीटर या फ़्लूबैंडिमाइड 39.35 एससी० 1 मिली० प्रति 5 लीटर पानी का छिडकाव करना चाहिए. इसके अलावा दानेदार कीटनाशी कारटैप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी 25 किग्रा० प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करना चाहिए.

हिस्पा भृंग कीट 

नीले-काले रंग के वयस्क भृंग पत्तों के हरे पदार्थ को खाकर सीढ़ीनुमा सफ़ेद लकीरें बनाते है. जबकि सूड़ियाँ पत्तों के अन्दर भूरे रंग की सुरंग बना देती है.

कीट नियंत्रण – इस कीट के फसल के बचाव के लिए क्लोरोपायरीफ़ॉस 20 ईसी० 2.5 मिली० प्रति लीटर पानी या क्विनलफ़ॉस 25 ईसी० 3 मिली० प्रति लीटर का छिडकाव करना चाहिए. इसके अलावा कार्बारिल धूल 25-30 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से बुरकाव करे.

गंधी बग कीट 

यह कीट खेत में दुर्गन्ध फैलाता है. अतः इसे गंधी बग कहा जाता है. इसके शिशु व वयस्क दोनों ही दूधिया अवस्था में दानों का रस चूसकर इन्हें खाली कर देते है. ऐसे दानों पर काला निशान भी बन जाता है.

कीट नियंत्रण – इस कीट के नियंत्रण के लिए क्विनलफ़ॉस 25 ईसी० 3 मिली० प्रति लीटर पानी का छिडकाव करना चाहिए. इसके अलावा कार्बारिल या मिथाइल पैराथियान धूल 25-30 किग्रा० प्रति हेक्टेयर का बुरकाव करना चाहिए.

सैनिक कीट (झुण्ड में पायी जाने वाली सूंडी)

इस कीट की केवल सूंडिया ही फसल को नुकसान करती है. जबकि पतंगे फूलों से रस चूसते है. सूंडिया नर्सरी में पौधों को इस तरह कुतर कर खा जाती है. जैसे इन्हें जानवर ने चर लिया हो. खेत में यह कीट पत्तों के मध्य शिराओं को छोड़ते हुए पूरे पत्तों को चट कर जाता है.

कीट नियंत्रण – प्रकाश प्रपंच का प्रयोग कर कीटों को एकत्र कर नष्ट कर देना चाहिए. इसके अलावा क्लोरोपायरीफ़ॉस 20 ईसी० 2.5 मिली० प्रति लीटर पानी या क्विनलफ़ॉस 25 ईसी० 3 मिली० प्रति लीटर का छिडकाव करना चाहिए. इसके अलावा कार्बारिल धूल 25-30 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से बुरकाव करे.

ग्रास हॉपर कीट 

इस कीट के फुदकने वाले शिशु व वयस्क पत्तों को इस तरह खाते है जैसे पशु चर गए हो.

कीट नियंत्रण – गर्मी में धान के खेतों की मेड़ों की खुरचाई करनी चाहिए ताकि इस कीट के अंडे नष्ट हो जाएँ. इस कीट की साल में एक पीढ़ी होती है. तथा अंडे नष्ट कर देने से इसका प्रकोप काफी कम हो जाता है. इसके अलावा आवश्यकतानुसार क्लोरोपायरीफ़ॉस 20 ईसी० 2.5 मिली० प्रति लीटर पानी या क्विनलफ़ॉस 25 ईसी० 3 मिली० प्रति लीटर का छिडकाव करना चाहिए. इसके अलावा कार्बारिल धूल 25-30 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से बुरकाव करे.

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ध्यान रखने योग्य बातें 

विभिन्न कीटों के प्रबन्धन पर नजर डालने पर निष्कर्ष निकलता है कि किसान भाई-बहन निम्न लिखित बातों का ध्यान रखे तो कीड़ों के प्रकोप को कम करने में काफी मदद निलती है.

  • गर्मियों के मौसम में खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए तथा मेडों की खुरचाई करके घास खडी नही रहने देनी चाहिए.
  • रोपाई से पहले पौधों के शीर्ष को काटकर नष्ट कर देना चाहिए.
  • नाइट्रोजन उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से बचते हुए खाद का संतुलित प्रयोग करना चाहिए.
  • खरपतवारों को नियंत्रित करते रहना चाहिए.
  • खेतों में लगातार पानी से भरकर नही रखना चाहिए तथा पानी सूखने पर ही दोबारा सिंचाई करनी चाहिए.
  • प्रकाश-प्रपंच का उपयोग कर कीटों की निगरानी करनी चाहिए.
  • फसल पर कीटों की निगरानी करनी चाहिए तथा आर्थिक दहलीज स्तर पर ही कीटनाशियों का सही मात्रा में छिडकाव करना चाहिए. अधिक मात्रा में प्रयोग करने से कुछ लाभ नही होगा.
  • कीटों को प्राकृतिक शत्रुओं जैसे मकड़ियों का संरक्षण करना चाहिए. जहाँ इनकी संख्या ज्यादा हो वहां कीटनाशी का छिडकाव नही करना चाहिए. दानेदार कीटनाशी लाभकारी कीटों को अपेक्षाकृत कम नुकसान पहुंचाते है.

 

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