आम का प्ररोह वेधक कीट | Mango Shoot borer | Mango pests

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आम का प्ररोह वेधक
आम का प्ररोह वेधक कीट | Mango Shoot borer

आम का प्ररोह वेधक कीट | Mango Shoot borer

नमस्कार किसान भाईयों आम का प्ररोह वेधक कीट एक प्रकार का हानिकारक कीट है. यह आम की उपज को काफी नुकसान पहुंचाता है. जिससे बागवानी करने वाले किसानों को काफी घाटा होता है. इसलिए गाँव किसान (Gaon Kisan) आज अपने इस लेख में आम का प्ररोह वेधक कीट के बारे में पूरी जानकारी देगा. जिससे किसान भाई इस कीट के प्रकोप से बच सके. तो आइये जानते है आम का प्ररोह वेधक कीट की पूरी जानकारी –

आम का प्ररोह वेधक कीट की पहचान 

इस कीट की छोटी इल्लियाँ पीली-नारंगी होती है. और इनके अग्रवक्ष पर गहरे भूरे रंग का परिरक्षक पाया जाता है. पूरी तरह से विकसित इल्लियाँ 20 से 25 मिमी० लम्बी, गहरी गुलाबी होती है. और उन पर भद्दे रंग के धब्बे पाए जाते है. सी० ट्रांसवर्सा जाति के वयस्क कीट पंखों की फैली हुई अवस्था में 15 से 20 मिमी० लम्बे होते है. इन पर आरक्त (rufous) भूरे-स्लेटी (browinsh grey) एवं स्लेटी रंग के छोटे-छोटे शल्क होते है. अगले पंख गहरे स्लेटी रंग के होते है. इन पर लहरदार धारियां होती है. पिछले पंख भूरापन लिए स्लेटी रंग के होते है. यह पीछे की अपेक्षा आगे की तरफ ज्यादा गहरे रंग के होते है.

सी० ट्रांसवर्सा की अपेक्षा आल्टरनन्स जाति के कीटों का वक्ष व उदर गहरे रंग का होता है. अगले पंख हरे होते है. और इनका पिछ्ला किनारा भूरा-स्लेटी होता है. पिछले पंखों पर छोटे-छोटे बालों की झालर होती है.

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कीट पाए जाना वाला क्षेत्र 

यह कीट भारत के सभी मैदानी एवं दक्षिणी भागों में पाया जाता है. भारत के अलावा श्रीलंका, मलाया, पूर्वी द्वीप समूह, फिलीपाइन, इंडोनेशिया, थाईलैंड आदि देशों में भी पाया जाता है.

आम को क्षति 

इस कीट की इल्लियाँ हानिकारक है. प्रारंभ में नवजात इल्लियाँ मुलायम पत्तियों के मध्य शिराओं में घुसकर खाती है. बाद में ये मुलायम प्ररोहों के बढ़ते हुए भागों में घुसकर 100 से 150 मिमी० तक सुरंग बनाती है. इनके प्रवेश द्वार से इनका मलमूत्र निकलता हुआ देखा जा सकता है. जब ये इल्लियाँ पूर्ण विकसित हो जाती है. तो प्ररोहों से बाहर आकर पेड़ों की छाल के नीचे, विकृत बौर या जमीन में दरारों के अन्दर प्यूपवस्था में परिवर्तित हो जाती है. क्षतिग्रस्त प्ररोहों की पत्तियां सूख कर गिर जाती है. छोटे-छोटे कलमी पौधे अक्सर मर जाते है. पेड़ों पर बौर कम आता है. और फल बहुत कम लगते है. इस प्रकार आम का यह एक बहुत ही हानिकारक कीट है.

अन्य परपोषी पौधे 

आम के अलावा इसकी इल्लियाँ लीची पर भी खाती हुई पाई गई है.

कीट का जीवन-चक्र 

इस जाति की मादा संगम करके 200 से 300 अंडे मुलायम पत्तियों की निचली सतह पर देती है. ये अंडे 2 से 3 दिन के ऊष्मायन-काल के बाद फूट जाते है. इनसे जो इल्लियाँ निकलती है. वे 10 से 12 दिन में 2 बार निर्मोचन करके पूर्ण विकसित हो जाती है. इसके बाद ये प्यूपवस्था में बदल जाती है. प्यूपावस्था मौसम के अनुसार 10 से 15 दिन होता है. यह कीट अक्टूबर से अम्र्च तक प्यूपा के रूप में शीत निष्क्रिय अवस्था में रहता है. एक वर्ष में इसकी चार क्रमिक पीढियां पाई जाती है. यह कीट अगस्त से अक्टूबर तक अधिक सक्रिय रहता है.

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कीट की रोकथाम 

  • क्षतिग्रस्त टहनियों एवं प्ररोहों को इल्लियों सहित काटकर जला देना चाहिए.
  • अधिक प्रकोप होने पर पेड़ों पर अगस्त से 2 से 3 बार 0.2 प्रतिशत कार्बारिल या 0.05 प्रतिशत मैलाथियान या एन्डोसल्फान का छिड़काव करना चाहिए.
  • पेड़ों पर उपस्थित ढीली छाल को व पेड़ के नीचे पड़े पत्तों को एकत्र करके जलाकर नष्ट कर देना चाहिए.

निष्कर्ष 

किसान भाईयों उम्मीद है गाँव किसान (Gaon Kisan) के इस लेख से आम का प्ररोह वेधक कीट से सम्बंधित जानकारी आप सभी को मिल पायी होगी. फिर भी इस कीट से सम्बंधित आपका कोई प्रश्न हो तो कमेन्ट बॉक्स में कमेन्ट कर पूछ सकते है. इसके अलावा यह लेख आपको कैसा लगा कमेन्ट कर जरुर बताएं, महान कृपा होगी.

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, जय हिन्द.

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